Class 12 The Tiger King Summary in Hindi

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THE TIGER KING SUMMARY IN HINDI
The Tiger king summary in hindi
                                             बाघ राजा (The tiger King Summary In Hindi)

यह कहानी है प्रतिबंदपुरम के महाराजा के बारे में जिसका पूरा नाम जिलानी जंग जंग बहादुर था | उसे टाइगर किंग के नाम से भी जाना जाता था  | इस कहानी में हम लोग जानेंगे कि उसे टाइगर किंग के नाम से क्यों जाना जाता था| यानी कि उसका नाम टाइगर किंग कैसे पड़ा जब उसका जन्म हुआ तो ज्योति सोने उस समय भविष्यवाणी की थी कि एक दिन टाइगर किंग को वास्तव में मरना पड़ेगा |10 दिन की आयु के राजकुमार ने भविष्यवक्ता ओं को वह बुद्धिमान भविष्य दृष्टाओ कह कर संबोधित किया | उसने उन्हें मृत्यु का ढंग बताने को कहा |मुख्य ज्योतिषी ने कहा कि मृत्यु टाइगर द्वारा आएगी | राजकुमार गुरया बाघों को सावधान कर दो |

 जब युवराज 20 वर्ष की आयु का हुआ तो उसे राज्य की जिम्मेदारी सौंप दी गई | प्रतिबंदपुरम राज्य में कई जंगल थे | उसमें टाइगर्स भी थे| महाराजा ने टाइगर का शिकार करना आरंभ किया | जब उसने पहला टाइगर मारा तो राजा रोमांचित हो उठा |उसने राजकीय ज्योतिषी को बुलाया | ज्योतिषी ने कहा महाराजा चाहे आप इस ढंग से 99 टाइगर्स मार दे किंतु आपको 100th Tiger से अत्यंत सावधान रहना चाहिए | यदि वह सावे ( 100 th) बाघ को मार पाया तो ज्योतिषी ने प्रण किया कि वह ज्योतिष की अपनी सभी पुस्तक  को फार डालेगा तथा उसमें आग लगा देगा | राज्य में महाराजा के अतिरिक्त किसी अन्य द्वारा टाइगर का शिकार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया | महाराजा ने शपथ ली कि वह अन्य सभी मामलों की और केवल शो (100) टाइगर्स मरने के उपरांत ही ध्यान देगा | टाइगर्स को मारने में राजा को कई खतरों का सामना करना पड़ा| कई बार गोली अपना निशाना चूक जाती थी ,टाइगर उस पर उछल पड़ता | वह अपने नंगे हाथों से tiger से लड़ता प्रत्येक बार महाराजा ही विजई होता |

The tiger king summary in hindi

एक बार उस पर अपनी राजगद्दी गवा देने का खतरा था | एक उच्च पद पर आसीन ब्रिटिश अधिकारी ने प्रतिबंदपुरम का भ्रमण किया | वह बाघ के शिकार में बहुत रुचि रखता था तथा उससे भी अधिक शौकीन था अपने द्वारा मारे गए बाघों के साथ फोटो खिंचवाने में | वह प्रतिबंदपुरम में टाइगर का शिकार करना चाहता था | महाराजा भी अपने संकल्प में दृढ़ रहा | उसने अनुमति प्रदान करने से मना कर दिया | क्योंकि उसने एक ब्रिटिश अधिकारी को अपनी इच्छा पूरी करने से रोका था | महाराजा पर अपना राज्य गवा देने का खतरा मंडराने लगा इस समस्या पर महाराजा तथा दीवान ने विचार विमर्श किया | विभिन्न डिजाइनों की लगभग 50 कीमती हीरो की अंगूठियां ब्रिटिश अधिकारी की पत्नी के पास भेजी गई | राजा तथा मंत्री आशा करते थे कि वह एक अथवा दो को चुन लेगी तथा बाकी अंगूठियां वापस लौटा देगी परंतु उसने सभी रख ली तथा धन्यवाद का पत्र भेजा | महाराजा प्रसन्न हुआ कि यद्यपि उसने 300000 गवा दिए थे यद्यपि अपना राज्य तो बचा पाने में सक्षम रहा |

महाराजा टाइगर हंटिंग में सफल होते रहें 10 वर्ष के भीतर ही उसने 70 टाइगर मार डाले थे | किंतु फिर प्रतिबंदपुरम में कोई टाइगर बचा नहीं | एक दिन महाराजा ने अपने दीवान को बुलाया तथा उसे बताया कि उसकी बंदूक द्वारा अभी 30 टाइगर का शिकार होना बाकी है | उसने दीवान को बताया कि उसने विवाह करने का निर्णय लिया है | मंत्री ने ऐसे राज्य की सही कन्या का चुनाव किया जिसमें tiger बहुत बड़ी संख्या में थे प्रत्येक बार जब महाराजा जंग जंग बहादुर अपने ससुर से मिलने जाता वह 5 या 6 टाइगर को मार डालता था |इस प्रकार प्रतिबंदपुरम के राजमहल के स्वागत कक्ष की दीवारें 99 टाइगर की खालो से सुसज्जित हो गई थी |एक सौ की संख्या पर पहुंचने के लिए केवल एक टाइगर को मारना शेष था | किंतु अब उसके ससुर के राज्य में भी टाइगर खत्म हो चुके थे | टाइगर को कहीं भी ढूंढना असंभव था | महाराजा उदासी में डूब गया | शीघ्र ही उसे एक सुखद समाचार मिला |उसके अपने राज्य में पहाड़ी के पास वाले गांव में भेड़े प्रायः गायब होने लगी |महाराजा ने सोचा कि यह जरूर किसी टाइगर का ही काम होगा परंतु बाद में पता चला की दो चोर थे जो भेड़ों की चोरी कर रहे थे | महाराजा का क्रोध और जिद्दीपन ऊपर चढ़ता गया | कई अधिकारी अपनी नौकरी गंवा बैठे |

एक दिन टाइगर किंग अत्यंत क्रोधित था | उसने दीवान को बुलाया तथा तुरंत लगान दोगुना करने का आदेश दिया | दीवाने कहा कि लोग असंतुष्ट हो जाएंगे| फिर उनका प्रदेश भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का शिकार बन जाएगा | राजा ने दीवान को त्यागपत्र देने को कहा |मंत्री बहुत घबरा गया अपनी नौकरी बचाने के लिए दीवान ने वह सब किया जो भी वह टाइगर को प्राप्त करने के लिए कर सकता था |अंत में उसने मद्रास (अब चेन्नई ) के पीपल स्पार्क ( Pupils Park) से एक बूढ़ा टाइगर मंगवा लिया | रात में उसने उसे अपनी कार में रखा और उसे उस स्थान के नजदीक छोड़ दिया जहां महाराजा शिकार के लिए ठहरा हुआ था | सवेरे के समय वह बूढ़ा टाइगर भटकते हुए महाराजा के सामने आ गया | वह वहां पर बहुत नम्रता पूर्वक खड़ा रहा | बहुत प्रसंता से भरकर महाराजा ने ध्यान से निशाना बांधा और गोली चला दी | बाघ ढेर हो कर गिर गया महाराजा ने बाघ को एक शानदार जुलूस के रूप में राजधानी में ले आने की आज्ञा दी | वह महाराजा अपनी कार में बैठकर वहां से चला गया तो शिकारियों ने पाया कि वह tiger अभी भी जिंदा था | महाराजा की गोली अपने निशाने से चुग गई थी कोई भी नहीं चाहता था कि महाराजा को इस बात का पता चले क्योंकि इससे महाराजा बहुत क्रोधित हो सकता था | इसीलिए शिकारियों  में से एक ने निशाना बांधा और गोली चला कर बाघ ( tiger)  को मार डाला | जैसे कि राजा ने आज्ञा दी थी उसे शहर के बीच में से एक जुलूस की शक्ल में ले जाया गया फिर उसे दफना दिया गया | उस पर एक मकबरा स्थापित कर दिया गया |

कुछ ही दिनों के बाद महाराजा के पुत्र का तीसरा जन्मदिन मनाया गया | अब तक तो महाराजा के पास अपने बेटे के लिए कोई समय नहीं था |उसने अपना सारा ध्यान बाघ के शिकार पर केंद्रित कर रखा था |  परंतु अब वह अपने पुत्र को एक विशेष उपहार देना चाहता था |उसने नगर में हर दुकान छान डाली अंत में उसे एक खिलौनों की दुकान में लकड़ी का बना एक tiger मिल गया | राजा ने सोचा कि यह एक सबसे अच्छा उपहार था | उस दिन पिता और पुत्र दोनों ही सारा दिन उस लकड़ी के बाघ के साथ खेलते रहे | उसे एक अनाड़ी बढ़ाई ( Unskilled carpenter) ने बनाया था | इसकी पूरी सतह पर छोटी-छोटी लकड़ी की छुपते थी | इनमें से एक ने महाराजा के दाहिने हाथ को छेद दिया | महाराजा ने इसे अपने बाएं हाथ से खींच कर निकाला तथा राजकुमार के साथ खेलता रहा| अगले दिन राजा के दाहिने हाथ में संक्रमण हो गया|  4 दिन में मवाद निकलने वाले घाव में बदल गया | यह उसके पूरे बाजू में फैल गया | मद्रास से तीन प्रसिद्ध चिकित्सक लाए गए| विचार विमर्श के उपरांत उन्होंने ऑपरेशन करने का निर्णय लिया | ऑपरेशन सफल रहा किंतु महाराजा मर गया | इस प्रकार हंड्रेड बाघ ने टाइगर किंग से अंततः बदला ले ही लिया |

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